वक़्त नही |
हर खुशी है लोगो के दामन मे
पर एक हंसी के लिये वक़्त नही दिन रात दौडती दुनियाँ मे ज़िन्दगी के लिये ही वक़्त नही माँ की लोरी का एहसास तो है पर माँ को माँ कहने का वक़्त नही सारे रिश्तो को तो हम मार चुके अब उन्हे दफनाने का भी वक़्त नही सारे नाम मोबाईल मे है पर दोस्ती के लिये वक़्त नही गैरो की क्या बात करे जब अपनो के लिये ही वक़्त नही आंखो मे है नींद बडी पर सोने का वक़्त नही दिल है गमो से भरा हुआ पर रोने का भी वक़्त नही पैसो की दौड मे ऐसे दौडे की थकने का भी वक़्त नही पराये एहसासो की क्या कद्र करे जब अपने सपनो के लिये ही वक़्त नही तू ही बता ए ज़िन्दगी इस ज़िन्दगी का क्या होगा की हर पल मरने वालो को जीने के लिये भी वक़्त नही |
“Everybody is a genius. But, if you judge a fish by its ability to climb a tree, it'll spend its whole life believing that it is stupid.” – Albert Einstein
Saturday, 21 April 2012
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