Saturday, 21 April 2012

वक़्त नही

हर खुशी है लोगो के दामन मे
पर एक हंसी के लिये वक़्त नही
दिन रात दौडती दुनियाँ मे
ज़िन्दगी के लिये ही वक़्त नही

माँ की लोरी का एहसास तो है

पर माँ को माँ कहने का वक़्त नही
सारे रिश्तो को तो हम मार चुके
अब उन्हे दफनाने का भी वक़्त नही

सारे नाम मोबाईल मे है

पर दोस्ती के लिये वक़्त नही
गैरो की क्या बात करे
जब अपनो के लिये ही वक़्त नही

आंखो मे है नींद बडी

पर सोने का वक़्त नही
दिल है गमो से भरा हुआ
पर रोने का भी वक़्त नही

पैसो की दौड मे ऐसे दौडे

की थकने का भी वक़्त नही
पराये एहसासो की क्या कद्र करे
जब अपने सपनो के लिये ही वक़्त नही

तू ही बता ए ज़िन्दगी

इस ज़िन्दगी का क्या होगा
की हर पल मरने वालो को
जीने के लिये भी वक़्त नही